पब्लिक अफेयर्स इंडेक्स (पीएआई) की 2016 की रिपोर्ट बताती है कि सुशासन के मामले में बीजेपी शासित राज्य फिसड्डी हैं। आख़िर के तीन राज्यों मे मध्यप्रदेश, झारखंड और बिहार का नाम है। यानी सुशासन बाबू के नाम से प्रचारित नीतीश कुमार फिसड्डियों में भी फिसड्डी हैं।
सूची में सबसे ऊपर वामपंथी शासन वाला राज्य केरल है। उसके बाद दक्षिण के तीन राज्य और हैं, जिसका मतलब है कि पहले तीन में बीजेपी के शासन वाला एक राज्य भी नहीं है। प्रधानमंत्री का गृह प्रदेश गुजरात भी नहीं, जिसके सुशासन का ढोल चहूँ ओर पीटा जाता है। उसका स्थान छठवाँ है।
कहने को कहा जा सकता है कि पाँचवे स्थान पर हिमाचल प्रदेश है, जहाँ बीजेपी का राज है, लेकिन वहाँ उसकी सरकार बने चंद महीने ही हुए हैं। बीजेपी शासित महाराष्ट्र सातवें स्थान पर है जबकि उत्तरप्रदेश पचीसवें स्थान पर।
चलिए मान लिया जाए कि यूपी में भी उसकी सरकार को ज़्यादा समय नहीं हुआ है, मगर छत्तीसगढ़ में तो पंद्रह साल हो गए हैं, मगर वह पंद्रहवें स्थान पर है। राजस्थान में भी वह पाँच साल से काबिज़ है, मगर वह सत्रहवें नंबर पर है।
पीएआई सुशासन के मापने के लिए तीस विषयों पर ध्यान केंद्रित करता है और 100 संकेतकों का इस्तेमाल करता है। इनमें कानून-व्यवसथा, महिलाओं एवं बच्चों की स्थिति, न्याय प्रदान करने की क्षमता, बुनियादी ढाँचा, आर्थिक एवं वित्तीय प्रबंधन, सामाजिक सुरक्षा जैसे मुद्दे अहम हैं। वह पिछले तीन साल से ऐसी रिपोर्ट जारी कर रहा है। केरल लगातार तीन सालों से नंबर वन बना हुआ है।
अब सोचने की बात है कि आख़िर बीजेपी शासित राज्यों की स्थिति ऐसी क्यों है? बीजेपी इसके लिए एक बड़ा कारण तो ऐतिहासिक पृष्ठभूमि को बता सकती है। सही है कि उत्तर भारत के अधिकांश राज्य बीमारू राज्यों की श्रेणी में रहे हैं। लेकिन मुद्दा ये है कि जिन राज्यों में वह पंद्रह सालों से शासन कर रही है वहाँ इतने लंबे अरसे में भी वह सुशासन क्यों नहीं दे पाई?
इसके जवाब में वह कई बहाने बना सकती है। वह रिपोर्ट और रैंकिंग को झूठा या पक्षपातपूर्ण भी प्रचारित कर सकती है, हालाँकि वह विश्सनीय तथ्यों और आँकड़ों पर आधारित है। वास्तव में सचाई ये है कि उसे अच्छा शासन आता ही नहीं है। उसके पास चुनाव जिताने वाले नेता तो हैं, मगर शासन चलाने वाले नहीं।
फिर गाल बजाने की बात अलग है, मगर ये सबको पता है कि अच्छा शासन देना उसकी प्राथमिकता में कभी नहीं था। वह तो हिंदू-मुसलमान का झगड़ा खड़ा करने में लगी रहती है। उसका सारा वक़्त और ऊर्जा इसमें ज़ाया होती है कि हिंदुओं को कैसे मुसलमानों के ख़िलाफ़ खड़ा करके हिंदू वोट बैंक मज़बूत किया जाए।
आप बीजेपी शासित किसी भी राज्य की मशीनरी और सरकार के कामकाज को देख लीजिए आपको समझ में आ जाएगा कि उसकी प्राथमिकता क्या है। शिक्षा, स्वास्थ्य, सामाजिक न्याय एवं आर्थिक सुरक्षा, कानून-व्यवस्था उनके एजेंडे में रहता ही नहीं है।
कानून व्यवस्था को भी वे लाठी-गोली के ज़रिए ही ठीक करने में लगे रहते हैं इसलिए फेक एनकाउंटर की वारदातें उनके राज्यों मे सर्वाधिक होती हैं। गुजरात, छ्त्तीसगढ़ और यूपी के उदाहरण इस मामले में गिनाए जा सकते हैं।
Written by अमोल सेनगुप्ता
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