प्रभुजी, तुम स्वामी हम दासा

काल के प्रवाह में कोई खंड ऐसा भी आता है जब भक्तों की आस्था विकट रूप धारण कर लेती है। उन्हें भगवन-भजन के सिवाय कुछ सूझता नहीं है। यही नही...
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