मैंने कश्मीर में वह देखा जिसे कोई नहीं दिखा रहा और जो देखा जाना चाहिए


मैं इसी साल जब कश्मीर में घूम रहा था, लोगों से मिल रहा था, बातें कर रहा था, तो एक बात साफ नजर आ रही थी कि कश्मीर तेजी से बदल रहा है। इस बदले हुए कश्मीर से कश्मीरी पृथकतावादी और हिन्दू फंडामेंटलिस्ट बेहद परेशान थे।

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मैं पुराने श्रीनगर इलाके में कई बार गया, वहां विभिन्न किस्म के लोगों से मिला, उनसे लंबी बातचीत की। खासकर युवाओं का बदलता हुआ रूप करीब से देखने के लिए कश्मीर विश्वविद्यालय में भी गया। वहां युवाओं की आपसी बातचीत के मसले देखे, उनके चेहरे पर एक खास किस्म का चैन देखा।



युवाओं में पैदा हुए लिबरल भावों और उनकी आपसी संगतों में उठने वाले सवालों और विचार-विमर्श के विषयों को सुनकर लगा कि कश्मीर के युवाओं में पृथकतावाद-आतंकवाद या धार्मिक फंडामेंटलिज्म को लेकर एकसिरे से घृणा का भाव है।कश्मीर विश्वविद्यालय में एक जगह दीवार पर पृथकतावादी नारा भी लिखा देखा, जिसमें लिखा था- ´भारत कश्मीर छोड़ो’।

मेरी आंखों के सामने एक घटना घटी जिसने मुझे यह समझने में मदद की कि आखिर युवाओं में क्या चल रहा है। हुआ यह कि मैं जब साढ़े तीन बजे करीब हजरतबल मस्जिद से घूमते हुए कश्मीर विश्वविद्यालय पहुंचा तो देखा दो लड़कियां एक बैनर लिए कैंपस में प्रचार कर रही हैं, वे विभिन्न छात्र-छात्राओं के बीच में जाकर बता रही थीं कि एक जगह बलात्कार की घटना घटी है और उसमें कौन लोग शामिल हैं।

मैं उनका बैनर नहीं पढ़ पाया क्योंकि वह कश्मीरी में लिखा था। लेकिन बैनर लेकर प्रचार कर रही दोनों लड़कियों की बात को कैंपस में विभिन्न स्थानों पर बैठे नौजवान सुनने को राजी नहीं थे। वे बिना सुने ही मुँह फेर ले रहे थे। इस घटना से मुझे आश्चर्य लगा। मैंने एक छात्र से पूछा कि बैनर लेकर चल रही लड़कियां किस संगठन की हैं ,तो वो बोला, मैं  सही -सही नहीं कह सकता लेकिन ये पृथकतावादी संगठनों के लोग हैं और आए दिन इसी तरह बैनर ले कैम्पस में घूमते रहते हैं। कोई इन संगठनों की बातें नहीं सुनता, क्योंकि कश्मीरी छात्र अमन-चैन चाहते हैं।

दिलचस्प बात यह थी मेरी आँखों के सामने तकरीबन 30 मिनट तक वे बैनर लेकर  घूम-घूमकर छात्रों को बताने की कोशिश करते रहीं लेकिन हर बार उनको छात्रों के छोटे छोटे समूहों में निराशा हाथ लग रही थी कोई उनकी बात सुनने को तैयार नहीं था। अंत में बैनर लिए युवतियों ने निराशा भरे शब्दों में अंग्रेजी में धिक्कार भरी भाषा में अपने गुस्से का इजहार किया। इस पर कुछ लड़कियों ने मुँह बनाकर उनको चिढ़ाने की कोशिश की।

थोड़ी दूर चला तो देखा लड़के-लड़कियां बड़े आनंद से एक-दूसरे का हाथ पकड़े हुए टहल रहे हैं। बाहर निकलकर मुख्य सड़क से जब कार से घूमते हुए मैं पुराने शहर की ओर आया तो देखा कई युवा युगल मोटर साइकिल पर एक-दूसरे से चिपके हुए दौड़े चले जा रहे हैं। यह भी देखा कि बड़ी संख्या में मुसलिम लड़कियां और लड़के आधुनिक सामान्य सुंदर ड्रेस पहने हुए घूम रहे हैं, बाजार में खरीदारी कर रहे हैं।



मुख्य बाजार में अधिकतर मुसलिम औरतें बिना बुर्के के जमकर खरीददारी कर रही हैं। रात को 11बजे एक रेस्तरां में डिनर करने गया तो वहां पर पाया कि कश्मीरी प्रेमी युगल और युवाजन आराम से प्रेमभरी बातें कर रहे हैं, कहीं पर कोई आतंक का माहौल नहीं, किसी की भाषा में घृणा के शब्द नहीं।

मैंने अपने टैक्सी ड्राइवर और होटल के मालिक से पूछा  इस समय कश्मीर में लड़कियां किस तरह शादी कर रही हैं ॽ सभी ने एक स्वर में कहा  इस समय कश्मीरी लड़कियां गैर-परंपरागत ढ़ंग से, प्रेम विवाह कर रही हैं, वे स्वयं तय कर रही हैं। यह 1990-91 के बाद पैदा हुआ एकदम नया फिनोमिना है।

कश्मीरी युवाओं में उदारतावादी रूझानों को देखकर मन को भय भी लग रहा था कि कहीं ऐसा तो नहीं है कि कश्मीर में फिर से अशांति लौट आएॽ क्योंकि फंडामेंटलिस्ट ताकतें नहीं चाहतीं कि कश्मीर में उदारतावादी भावनाएं लौटें। मुझे यह भी लग रहा था कि जल्द ही टकराव हो सकता है। मैंने इस तनाव को बार बार वहां महसूस किया।

मुझे लगा वहां आम जनता में उदारतावादी राजनीति और जीवन मूल्यों के प्रति जबर्दस्त आग्रह है और आतंकी-पृथकतावादी और हिन्दू फंडामेंटलिस्ट नहीं चाहते कि कश्मीर में उदारतावाद की बयार बहे। वे हर हालत में आम जनता के मन में से उदारतावाद के मनोभावों को मिटाने की कोशिश करेंगे।

मैंने कश्मीर से लौटकर वहां के उदार माहौल पर फेसबुक में लिखा भी था। दुर्भाग्यजनक है कि मेरे लिखे जाने के कुछ दिन बाद ही बुरहान वानी की हत्या होती है और अचानक कश्मीर में उदारतावादी माहौल को एक ही झटके में आतंकी-पृथकतावादी माहौल में तब्दील कर दिया गया।

जिसने भी बुरहान वानी की हत्या का फैसला लिया, वह एकदम बहुत ही सुलझा दिमाग है उसके मन में बुरहान वानी नहीं बल्कि कश्मीर का यह उदार माहौल था जिसकी उसने हत्या की है। ये वे लाखों कश्मीरी युवा हैं जिनके उदार मूल्यों में जीने की आकांक्षाओं को एक ही झटके में रौंद दिया गया।

मैं इस तरह की आशंकाओं को लेकर लगातार सोच रहा था कि मोदीजी-महबूबा के सरकार में रहते कश्मीर में शांति का बने रहना संभव नहीं है। मैं जब सोच रहा था तो उस समय सतह पर शांति थी, लेकिन मैं आने वाले संकट को महसूस कर रहा था। अफसोस की बात है कि मोदी-महबूबा की मिलीभगत ने कश्मीर की जनता के अमन-चैन में खलल डाला, शांति से जी रहे कश्मीर को फिर से अशांत कर दिया, नए सिरे से आतंकियों और सेना की गिरफ्त में कश्मीर के युवाओं को कैद कर दिया।

Written By

जगदीश्वर चतुर्वेदी








जगदीश्वर चतुर्वेदी

मैंने कश्मीर में वह देखा जिसे कोई नहीं दिखा रहा और जो देखा जाना चाहिए
What I have seen in Kashmir, nobody is showing and it must be seen

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9 comments:

  1. तो आप ये बताये कि जो लोग हाथों में पत्थर लिए घूमते है उनका समर्थन लोकल पब्लिक करती है क्या ?

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  2. shanti ke jis masiha ko jawano ne mar giraya wo shayad khilauna wai gun lekar ladkiyon ko impress karne ke liye photo session kar raha tha.

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  3. Chaturvedi JI sahitya likhne k pehle desh ka heet ka khayal karlijiye india m likhkar aap chain se hai ..dusre Islamic desh m aapki khair nahi rehti..terrorist support karke apne 1 days visit ka feeling mat share kare..Kashmir india ka hai aur rahega...

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  4. "जिसने भी बुरहान वानी की हत्या का फैसला लिया, वह एकदम बहुत ही सुलझा दिमाग है उसके मन में बुरहान वानी नहीं बल्कि कश्मीर का यह उदार माहौल था जिसकी उसने हत्या की है।" इस वाक्य को पढ़कर तो यही लगता है की आतंकी की हत्या उदार माहौल की हत्या है। आप आतंकी की हत्या को कश्मीर की जनता के अमन-चैन में खलल डालने की साजिश मानते हैं। किस तरह की सोच है यह ?

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  5. to burhan wani ko hamare soldier bhaio ko marne dena chahiye tha kya??? India main Pakistan jindabaad nare ke naare lagana sahi hai kya??????? apne to iske bare main nahi kaha .......

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  6. kangressi hai...pakistani supporter

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  7. you mean to say whether to kill or not to kill a terrorist should be a political decision?

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  8. Read what the Kashmirs separatist were saying in 2009 Parliament elections with out any actions by our State / Center Governments.WHY?
    ====MSN News
    Saturday, April 18, 2009
    Lashkar warns of suicide attacks during polls Srinagar: Pakistan-based terror outfit Lashkar-e-Taiba (LeT) Saturday threatened to launch suicide attacks during the Lok Sabha elections in Jammu and Kashmir, asking people to participate in the poll process "at their own peril". "We will launch fidayeen (suicide) attacks during the poll process," LeT spokesman Abdullah Ghaznavi said in a statement to Srinagar-based media outlets.
    Warning the people against participating in the elections, the spokesman said "if people vote they will be doing so at their own peril".
    The terror outfit, which is allegedly behind the Mumbai attack last year, said New Delhi was trying to make stronger its "illegal occupation" of Jammu and Kashmir.
    During the November-December state assembly elections, the terror group, which largely has foreign mercenaries fighting in the Kashmir Valley and parts of Jammu, had said it would not interfere in the poll process.
    However, the large turnout during the assembly polls has baffled militant groups and also the hardline faction of the separatist Hurriyat Conference led by pro-Pakistan Syed Ali Geelani.
    The LeT threat comes close on the heels of United Jehad Council (UJC) and Geelani's diktat earlier this week asking people to boycott the Lok Sabha elections.
    Syed Sallahuddin, chief of the UJC, an amalgam of 13 militant organisations, has threatened to disrupt the poll process.
    The moderate faction of the Hurriyat Conference led by Mirwaiz Umar Farooq has said the election is a non-issue. De-linking electoral politics from the "Kashmir issue", the moderate Hurriyat said it was for people to decide whether they should vote or boycott the polls.
    "These (elections) are for day to day governance and development. For us in the Hurriyat Conference holding elections is a non-issue," acting Hurriyat chairman Maulana Abbas Ansari said.
    Source: IANS

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  9. Ish baat se mai bilkul sahmat nahi mene bhi Kashmirio ko Bharat ke Jabalpur mai aye students ke ravaieye ko dekha hai jo Bharat ka kha rahe aur dushman desh ka gungaan kar rahe hai . aakhir kab tak sanpo ko dudh pilaya jayega .

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