दिल्ली में मंत्री संदीप कुमार की बर्खास्तगी के बहाने अटल बिहारी वाजपेयी की याद


दिल्ली में महिला और बाल कल्याण मंत्री संदीप कुमार को एक सीडी में किसी महिला के साथ आपत्तिजनक अवस्था में पाए जाने पर बर्खास्त तो कर दिया गया, लेकिन इस घटना ने कुछ अन्य भारतीय राजनेताओं से जुड़े ऐसे ही घटनाक्रमों की याद ज़रूर दिलाई है।

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संदीप कुमार पर वैसे आर्थिक भ्रष्टाचार, या बलात्कार का आरोप नहीं बनता है। जिन महिलाओं से उनके संबंध बनाने की बात सीडी में दिख रही है, उनके बारे में ऐसा कोई प्रमाण नहीं आया है कि उन्हें संदीप कुमार ने किसी तरह का कोई नाजायज लाभ पहुँचाया हो। पूरा मामला केवल नैतिकता और सार्वजनिक जीवन की शुचिता का है। अब तक संदीप कुमार की पत्नी की तरफ से उनके खिलाफ किसी तरह की शिकायत सामने नहीं आई है, जबकि केवल उनकी शिकायत ही कुछ मायने रखती है। ये अलग बात है कि भारतीय जनता पार्टी संदीप कुमार की सीडी को लेकर प्रदर्शन भी करती है।



ऐसे में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का प्रसंग भी याद किया जा सकता है। भारतीय राजनीति में अति-सम्माननीय माने जाने वाले अटल बिहारी वाजपेयी के बारे में यह तथ्य जाना-माना है कि वे अपने कॉलेज के ज़माने की मित्र राजकुमारी कौल के साथ रहते थे और उनके निवास की सारी व्यवस्था श्रीमती कौल ही देखती थीं। श्रीमती कौल विवाहित थीं और अपने पति बी एन कौल को छोड़कर श्री वाजपेयी के साथ रहती थीं।
श्री वाजपेयी और श्रीमती कौल के संबंधों को लेकर राजनीतिक गलियारों में हमेशा एक रहस्यमय चर्चा होती रही। श्रीमती कौल की बेटी नमिता को ही वाजपेयी जी ने दत्तक पुत्री बनाया।

खैर, ये तो निजी संबंधों की बात हुई। श्री वाजपेयी और श्रीमती कौल के अलावा उनके संबंधों की सच्चाई कोई नहीं जानता। श्रीमती कौल का देहांत हो चुका है और श्री वाजपेयी का स्वास्थ्य उम्र अधिक होने के कारण ठीक नहीं रहता। बताया जाता है कि वो अब बोलने की स्थिति में नहीं है। अब दोनों के संबंधों के बारे में केवल अनुमान लगाया जा सकता है।

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मामला इतना ही नहीं है। अटल बिहारी वाजपेयी खुद भी कहते रहे हैं-अविवाहित हूँ लेकिन ब्रह्मचारी नहीं। इसका क्या मतलब हुआ। भले ही श्री वाजपेयी की कोई सीडी न बनी हो, लेकिन उन्होंने कुछ न कुछ तो ऐसा किया होगा जिससे वे ब्रह्मचारी नहीं रहे। सवाल ये है कि दिल्ली के बर्खास्त मंत्री संदीप कुमार का कृत्य श्री वाजपेयी के कृत्य से अलग कैसे है। सीडी अभी जाँच के दायरे में है। संदीप की सीडी कब बनी, ये भी अभी तय नहीं है। कितने साल पुरानी है, ये भी पता नहीं है। फिर भी मान भी लें कि उन्होंने अपनी पत्नी के अतिरिक्त किसी महिला के साथ संबंध बनाए तो ये कर्म तो श्री वाजपेयी भी कर चुके हैं और उनकी स्वीकारोक्ति भी जगजाहिर है।

श्री वाजपेयी का इस तरह का ये अकेला मामला नहीं है। जनसंघ के संस्थापकों में से एक बलराज मधोक ने भी अपनी आत्मकथा "जिंदगी का सफर-भाग 3" के पेज न. 25 पर लिखा है-".....मुझे अटल बिहारी और नाना देशमुख की चारित्रिक दुर्बलताओं का ज्ञान हो चुका था। जगदीश प्रसाद माथुर ने मुझसे शिकायत की थी की अटल (बिहारी वाजपेयी) ने 30, राजेंद्र प्रसाद रोड को व्यभिचार का अड्डा बना दिया है। वहाँ नित्य नई-नई लड़कियाँ आती हैं। अब सर से पानी गुजरने लगा है। जनसंघ के वरिष्ठ नेता के नाते मैंने इस बात को नोटिस में लाने की हिम्मत की। मुझे अटल के चरित्र के विषय में कुछ जानकारी थी। पर बात इतनी बिगड़ चुकी है, ये मैं नहीं मानता था। मैंने अटल को अपने निवास पर बुलाया और बंद कमरे में उससे जगदीश माथुर द्वारा कही गई बातों के विषय में पूछा। उसने जो सफाई दी बात साफ़ हो गई। तब मैंने अटल (बिहारी वाजपेयी ) को सुझाव दिया कि वह विवाह कर ले अन्यथा वह बदनाम तो होगा ही, जनसंघ की छवि को भी धक्का लगेगा।....."


बाद में हुआ ये कि जनसंघ के संस्थापक-अध्यक्ष श्री मधोक को अटल बिहारी वाजपेयी, नानाजी देशमुख, और संदिग्ध चरित्र के अन्य नेताओं ने 1973 में पार्टी से निकलवा दिया। बाद में श्री वाजपेयी जननेता के रूप में स्थापित हुए और देश के प्रधानमंत्री पद तक पहुँचे और भारत रत्न से भी सम्मानित हुए।

एक ही तरह के आचरण करने वाले दो राजनेताओं में से एक बदनाम होकर मंत्रिमंडल से बर्खास्त होता है और दूसरा भारत रत्न से सम्मानित होता है। यही भारतीय समाज और भारतीय राजनीति का असली स्वरूप है।

दिल्ली में मंत्री संदीप कुमार की बर्खास्तगी के बहाने अटल बिहारी वाजपेयी की याद
Remembering Atal Bihari Vajpai in the context of alleged sex scandal of Sandip kumar


Written by-महेंद्र नारायण सिंह

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3 comments:

  1. यह ठीक है कि भारतीय व्यवस्था में अपराध वहां होता है जहाँ किसी (पीड़ित या प्रभावित) को कोई शिकायत हो! यह अटल बिहारी वाजपेयी का नैतिक साहस ही था कि उन्होंने अपनी निजी ज़िन्दगी को तिलिस्म नहीं बनने दिया! उनके जैसा 'गड्स' दूसरा कौन रख सका; जो कहता कि 'अविवाहित हूँ पर ब्रह्मचारी नहीं!' आपके सन्दीप कुमार तो 'भोंपू' तैनात कर अब अपने दलित होने का रोना रो रहे हैं! इसी की आड़ में वे बचने के लिए फंसाये जाने का रोना रो रहे हैं! भारतीय जनमानस इतना बेवकूफ़ नहीं है! इसीसे उसने अटल बिहारी के विरोधियों की बात को अनसुना कर दिया! बलराज मधोक को नकार दिया था! बाकी जिन लोगों को उन्हें 'अभियुक्त ठहराने के लिए आपने साक्षी बनाया है, उन सभी ने अटल की ही छाँव में शान्ति तलाशी!' वो चाहे कोई माथुर रहा हो अथवा, देशमुख!
    आग्रही लोग तो चाँद में भी दाग देखते हैं!
    सूरज को शीशा दिखाना उचित नहीं माना जाता है! अलबत्ता, शीशा बेकार हो जाता है! वह अपना मुँह देखने लायक भी नहीं बचता!

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  2. धन्य हैं आप। संदीप कुमार को आप जैसे लोगों का शुक्रगुजार होना चाहिए।

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