केजरीवाल की सर्जिकल स्ट्राइक से बौखलाई क्यों है बीजेपी?


सर्जिकल स्ट्राइक के संबंध में सवाल उठते ही भारतीय जनता पार्टी भड़क गई है और विपक्षी दलों पर राशन पानी लेकर टूट पड़ी है। क्या उसे लग रहा है कि इस कार्रवाई से जो राजनीतिक फ़ायदा उसे मिल रहा है वह हाथ से न फिसल जाए और इसलिए वह जवाब देने के बजाय हमले पर उतर आई है?

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लगता तो यही है क्योंकि पहले तो अरविंद केजरीवाल ने चतुराई से सवाल खड़े करके उसे कठघरे में खड़ा कर दिया। ये एक तरह का सर्जिकल स्ट्राइक था। उन्होंने मोदी को सेल्यूट करते हुए उन्हीं पर हमला भी बोल दिया था। बीजेपी उनके वीडियो में छिपी गुगली से बोल्ड हो गई। तिलमिलाहट में वह उन पर बरसने लगी।


इसके बाद काँग्रेस के दिग्विजय सिंह, पी चिदंबरम और संजय निरूपम के बयानों ने भी उसके इरादों पर भी सवालिया निशान लगा दिए। पाकिस्तान पहले ही सर्जिकल स्ट्राइक को फर्ज़ी बता चुका है। यहाँ तक कि संयुक्त राष्ट्र ने भी सर्जिकल स्ट्राइक की ख़बर को सच नहीं माना।

ज़ाहिर है ऐसे में एक तरह से सरकार चारों तरफ से घिर गई है और उसे अब यही रास्ता सूझ रहा है कि जो सवाल खड़ा करे उस पर हमला करो। मगर इससे बात बनेगी नहीं। जितना वह हमला करेगी लोगों के मन में संदेह उतना गहराता जाएगा।

वह सेना की आड़ लेने की कोशिश कर रही है, मगर एक समय आएगा जब सेना की साख बचाने के लिए ही सबूत पेश करने के लिए बाध्य होना पड़ेगा। अगर उसने सर्जिकल स्ट्राइक की वीडियोग्राफी की है तब तो वह बच जाएगी लेकिन अगर ये महज प्रचार है तब तो उसके लिए वह उतनी ही शर्मनाक बात हो जाएगी जितना कि अभी गर्व की मान रही है।

बहरहाल, सरकार और बीजेपी के इस रवैये से ये साफ़ हो जाता है कि सर्जिकल स्ट्राइक को लेकर राजनीति हो रही है। ये आगे-पीछे होना ही था। लेकिन राजनीति केवल विपक्षी दल ही नहीं कर रहे बल्कि सत्तारूढ़ गठबंधन भी कर रहा है। जिस तरह से सरकार और बीजेपी इस अभियान को भुनाने की कोशिश कर रही है उससे तो ये भी संदेह होने लगा है कि कहीं सर्जिकल स्ट्राइक सैन्य से ज़्यादा राजनीतिक कार्रवाई तो नहीं थी?


बीजेपी की नीयत पर संदेह करने की पहली वजह तो यही बन रही है कि उसने सर्जिकल स्ट्राइक को न भूतो न भविष्यते वाले अंदाज़ में प्रचारित किया और अभी भी कर रही है। सबको पता है कि इस तरह की कार्रवाइयाँ पहले भी हुई हैं, मगर सार्वजनिक करने का काम पहली बार हुआ है। यानी राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश पहली बार हुई है।

संदेह की दूसरी वजह सैन्य अभियान के बहाने सरकार और प्रधानमंत्री का महिमामंडन है। इसे ऐसे प्रस्तुत किया गया मानो स्वयं पीएम ने कमांडो कार्रवाई की हो। ऐसा करने की क्या वजह हो सकती है? प्रेक्षकों का मानना है कि पहली वजह सरकार की हर मोर्चे पर मिली नाकामी है जबकि दूसरी उत्तरप्रदेश की चुनाव तैयारी।
इस आधार पर संदेह की दो वजहें और स्पष्ट हो जाती हैं। पहला पीएम एवं सरकार की छवि का निर्माण है। दूसरे अहम मसलों से ध्यान हटाकर इसे पीएम की वीरता के रूप में प्रचारित किया जा रहा है, जो कि छवि-निर्माण की कला का बड़ा फार्मूला माना जाता है।

उत्तरप्रदेश के चुनाव मोदी और उनकी सरकार के लिए कितने अहम हैं ये सब जानते हैं। अगर इस चुनाव में बीजेपी हारती है तो उसका भविष्य ख़तरे में पड़ सकता है। इससे बचने के लिए उसे एक ऐसा मुद्दा चाहिए था जो उसकी डूबती नैया को उबार सके। अब वह सर्जिकल स्ट्राइक का यही इस्तेमाल कर रही है। इसके लिए तो उसने पोस्टर बैनर भी बना डाले हैं।

विपक्षी दल उसकी इस हरकत को देख रहे हैं इसीलिए उसकी रणनीति को पंचर करने मे जुट गए हैं। बीजेपी इसीलिए बौखला गई है। उसकी सबसे ज़्यादा बौखलाहट केजरीवाल की सर्जिकल स्ट्राइक पर है। केजरीवाल ने एक तरफ देशभक्ति की उसकी अकेले की दावेदारी को कम कर दिया है और दूसरी ओर उसे ऐसी स्थिति में लाकर खड़ा कर दिया है जहाँ उसके लिए खुद को साबित करना बहुत मुश्किल हो जाएगा।

केजरीवाल की सर्जिकल स्ट्राइक से बौखलाई क्यों है बीजेपी?
Why BJP is so desperate after Kejriwal’s Surgical strike?

Written by-चक्रवीर सिंह

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