फंस गए मोदी, अब फ्लोटिंग वोटर्स करेंगे फ़ैसला? Video Included
The Game-Changer: How Floating Voters Could Shape PM Modi's Future!
दोस्तों,
अब धीरे-धीरे यह साफ हो चला है कि यह चुनाव फंस गया है, यानी मोदी शाह जो मानकर चल रहे थे कि यह चुनाव उनके हक में जाएगा, उन्होंने पूरी तैयारी कर ली है राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा से जो ज्वार उठेगा उससे उनकी नैया पार हो जाएगी,
या जो लाभार्थी योजना चल रही है वह उनके काम आएगा या मीडिया के जरिए जो नरेट बनाना चा जाते हैं उससे उनकी जीत सुनिश्चित हो जाएगी या ईडी सीबीआई वगैरह वगैरह. उनके लिए उनके सामने जो विपक्ष है उसको ध्वस्त कर देगा और उसका मैदान साफ हो जाएगा या कारपोरेट की शक्ति जो उसके पास है जो अंधा धुंध पैसा है उसके बल पर वह आसानी से चुनाव जीत लेगी,
लेकिन यह अब इस पर एक बड़ा सा प्रश्न चिन्ह खड़ा हो गया है क्योंकि जो माहौल दिख रहा है जो हवा बदलती दिख रही है उससे नहीं लगता कि बीजेपी के लिए साधारण बहुमत हासिल करना भी आसान बात होगी,
कई लोग 200 तक 200, 210, 220, तक की बात करने लगे हैं राहुल गांधी तो 150 और 170 की बात कर रहे हैं लेकिन हम उस पर नहीं जाते क्योंकि राजनीतिक दल राजनीतिक नेता अपने हिसाब से कैलकुलेशन करते हैं,
लेकिन ज्यादातर अब जो राजनीतिक विशेषज्ञ हैं वो मानने लगे लगे हैं कि बीजेपी 272 का आंकड़ा पार करने या उसके पास पहुंचने में उसे बड़ी दिक्कत पेश आने वाली है या आ रही है क्योंकि चीजें बदल गई हैं जमीन पर,
जहां उनका गढ़ होता था वहां भी अब इक्वेशन बदल रहे हैं और सबसे बड़ी बात ये चुनाव लोकलाइज हो गए हैं बहुत ज्यादा यानी राष्ट्रीय मुद्दे राष्ट्रीय नेतृत्व अंतरराष्ट्रीय छवि यह सब मुद्दे काम नहीं आ रहे हैं,
लोग स्थानीय मुद्दों पर बात कर रहे कुछ राष्ट्रीय मुद्दे भी हैं लेकिन वह मोदी शाह के खिलाफ जाते हैं जैसे एमएसपी को कानूनी गारंटी का सवाल है बेरोजगारी का मुद्दा है या महंगाई का मुद्दा है यह राष्ट्रीय मुद्दे हैं हालांकि लेकिन इनमें बीजेपी और मोदी शाह बहुत डिफेंसिव हैं
क्योंकि उनकी इस मामले में वह कुछ कर नहीं पा रहे हैं कुछ कह नहीं पा रहे हैं जबकि कांग्रेस का घोषणा पत्र इस मामले में बहुत कुछ कह रहा है और वह उनके लिए एक मुसीबत बन गया इसीलिए मोदी लगातार उस परे हमला कर रहे हैं,
लेकिन यह तो एक छोटी सी भूमिका हुई असल में मैं जो आपसे बात करना चाह रहा हूं वो यह कि जो फ्लोटिंग वोट है जो कि हर चुनाव में या दो एक दो चुनाव के बाद अपना मन बदल लेता है अब सारे ध्यान उस पर लगा हुआ है,
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हम सब जानते हैं कि बीजेपी की जो का जो कोर वोट है वो लगभग 18 से 20% के आसपास है कांग्रेस का भी लगभग 18 से 20% के आसपास ही वोट है लेकिन उसके बाद जो वोट आता है बीजेपी के पास वह दूसरी वजहों से आता है जैसे 2014 में अगर उसके वोटों में करीब 72 फीसद की बढ़ोतरी हुई तो यह क्यों हुई,
यह दरअसल इसलिए हुई कि उस समय की सरकार के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी थी मोदी जी से उम्मीद थी एक नया नेतृत्व था वगैरह वगैरह यह सब काम कर रहे थे और सबसे बड़ी बात यह कि उन्होंने विकास का एक गुजरात मॉडल का सपना दिखाया था
और उसकी वजह से आकर्षित हुए थे इसी तरह से पुलवामा का हमला जो हुआ और फिर बालाकोट में स्ट्राइक की गई भारत के द्वारा उसका फायदा बीजेपी को मिला और फिर उसके जो वोट परसेंटेज है 6 पर और बढ़ गए तो यह जो 16-17% बढ़े हैं बीजेपी के 18% वोट बढ़े हैं वो दरअसल हिंदुत्व के वोट नहीं है वो राम मंदिर के वोट नहीं है वो विकास और बेहतर भविष्य के लिए दिए जाने वाले वोट
और अब ऐसा लग रहा है कि उस जो यह फ्लोटिंग वोट है उसका मोह भंग हो चुका है मोदी जी से उनकी सरकार से तो उसमें से बहुत सारा वोट बैंक खिसके इधर उधर और उसी में सबसे बड़ी परेशानी बीजेपी फेस कर रही है यह मुद्दे यह जो वोट बैंक है फ्लोटिंग वोट बैंक है जो कभी इधर जाता है कभी उधर जाता है उसमें संविधान का मसला भी बड़ा काम कर रहा है
क्योंकि संविधान बदलने की बात जो बीजेपी के नेताओं ने कहनी शुरू की उससे दलितों आदिवासियों पिछड़ों इन सबके मन में एक आशंका भर गई कि यह सरकार अगर फिर से आई तो वह संविधान बदलेगी और आरक्षण को भी खत्म नहीं करेगी
तो कमजोर जरूर कर देगी तो यह डर सता रहा है तो यह एक ऐसा मुद्दा बन गया है जो बीजेपी के गले की हड्डी बन गया है उससे वह मुक्त नहीं हो पा रहे इसके लिए वह हिंदुत्व का मुद्दा लेकर आई है और लगातार आप देख रहे हैं कि हिंदू मुसलमान की बात हो रही है नए-नए जुमले आ रहे हैं हेट स्पीच उनकी पूरी इस स्ट्रेटजी का पार्ट बन गई है
चाहे वह खुद प्रधानमंत्री मोदी हो अमित शाह हो योगी आदित्यनाथ हो अनुराग ठाकुर हो इस तरह के तमाम नेता इस तरह की बयानबाजी करने लगे हैं तो क्या यह जो हिंदुत्व को पुनर्जागरण करने की कोशिश की जा रही है
हिंदुत्व को खड़ा करके यह जो बंटवारा हो रहा था वोटों का उसको रोकने की कोशिश की जा रही है क्या वह कामयाब होगी
एक ये बहुत बड़ा सवाल है क्योंकि अब हिंदुत्व का मसला काम करते हुए नहीं दिख रहा राम मंदिर इस पूरे चुनाव में कहीं चर्चा का विषय ही नहीं जो सर्वे हुआ है सीएसडीएस का वो बताता है कि केवल 2% लोग हिंदुत्व के बारे में सोचते हैं और केवल 8% लोग राम मंदिर के बारे में, 27% लोग बेरोजगारी के बारे में सोच रहे हैं भ्रष्टाचार के बारे में सोचने वाले व महंगाई के बारे में सोचने वाले ये इनकी तादाद कहीं कहीं ज्यादा है
तो अगर व मुद्दे बन रहे हैं उनके आधार पर वोटिंग हो रही है तो मोदी जी का क्या होगा 400 पार का नारा तो पहले ही ध्वस्त हो चुका है अब बीजेपी और बीजेपी के नेता भी 400 की बात करना बंद कर चुके हैं अब तो यह लग रहा है कि किसी तरह से 300 का आंकड़ा छू लिया जाए
ताकि अपनी सरकार बन जाए लेकिन क्या वह भी हो पाएगा जिस तरह का माहौल बन रहा है अगर चुनाव के बीच में कुछ और ना हो जाए पुलवामा टाइप का तो बात दूसरी है
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अदर वाइज यह लगातार जो माहौल बन रहा है वह बीजेपी के खिलाफ ही जा रहा है एक एंटी इनकंबेंसी जो अंदर ही अंदर थी वह अब और उभर कर सामने आ रही है नाराजगी और बढ़ रही है और वह और परिलक्षित हो रही है कम वोटिंग में भी इसके लक्षण दिख रहे हैं और दूसरे तरह से भी जैसे मोदी की सभाओं में अब वो जोश नहीं दिखता
जिसमें मोदी मोदी के नारे लगते हो तो वो तमाम जो इंडिकेशंस हैं वो एनडीए और बीजेपी के खिलाफ जा रहे हैं और इसीलिए आप देख रहे हैं कि मोदी जी उनकी पार्टी के नेता किस कदर बौखलाए हुए हैं
किस किस तरह की हल्की टिप्पणियां कर रहे हैं अपने पदों की गरिमा का ख्याल भी नहीं रख पा रहे तो यह नोट करने वाली बात है कि यह फ्लोटिंग वोट अब इस बार इस चुनाव में किस तरह से बिहेव करेगा
और किस तरह से मोदी जी की किस्मत का फैसला करेगा बीजेपी की और इंडिया गठबंधन की भी कांग्रेस की भी राहुल गांधी की भी यह देखने की बात होगी
बहुत-बहुत शुक्रिया, आपका धन्यवाद
आर्टिकल by डॉ. मुकेश कुमार
Prof.(Dr.) Mukesh Kumar [Sr. Journalist, TV anchor, Writer]