हमाए ड्रामा को समझो, अखिलेश हीरो बन गओ न-मुलायम


ज़्यादातर लोग यही समझ रहे हैं कि बेटे ने मुलायम सिंह का बुढ़ापा खराब कर दिया। खुद तो बाग़ी बनकर हीरो बन गया है, मगर सरकार को भी डुबाएगा और पार्टी को भी। यही नहीं, चाचा तो चाचा अपने पिताजी की भी अच्छी-खासी फ़ज़ीहत कर डाली। अखिलेश ने बेशक़ तमाम हमले अमर सिंह पर किए मगर मुलायम और शिवपाल ही लोगों की नज़र में खलनायक बनकर उभरे हैं। आख़िर मुख्तार अंसारी जैसों के प्रति सम्मान प्रकट करके और अमर सिंह को महिमामंडित करने से भला कौन सी जनता खुश हो सकती है? कोई भी नहीं, इसीलिए लोग अखिलेश के स्टैंड को सही ठहरा रहे हैं और दोनों को ग़लत।

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ज़ाहिर है नेताजी को इससे सबसे दुखी होना चाहिए, लेकिन वे हैं नहीं। शिवपाल भले ही कलप रहे हों मगर हक़ीक़त तो यही है कि नेताजी मस्त हैं। जब मैं उनसे मिला तो उनकी सेहत भी दुरूस्त लग रही थी। मेरे लिए भी ये हैरत की बात थी कि इस तरह की सिचुएशन कहीं है ही नहीं। बल्कि मुलायम तो भरपूर खुश दिखे। वे दरबार लगाकर राजनीति बतिया रहे थे। उन्हें पता चल गया है कि अखिलेश ने विशाल लोकप्रियता बढ़ रही है और किसी पिता के लिए ये तो खुशी की बात है। मुलायम वैसे तो छिपा रहे थे, मगर वहाँ बँट रही मिठाईयों भर पर ही लाखों रुपए खर्च किए गए हैं। बहरहाल, मुलायम खुश हैं, मगर क्यों खुश हैं ये मेरे लिए रहस्य बन गया। मैंने रहस्य से परदा उठाने की कोशिश शुरू की।

नेता जी, लगता है आपको भी यही दिन देखने को बाक़ी थे कि जिन उम्मीदों के साथ आपने पार्टी बनाई थी वह बिखरती हुई दिखाई दीं? 
आप लोग भी कहाँ-कहाँ के किस्से बना लेते हो। इतनी बार बताया कि थोड़ा अपनी समझ बढाओ, लेकिन नईं किसी ने कह दिया कौआ कान ले गया तो अपना कान देखने के बजाय कौआ के पीछे दौड़ लगानी शुरू कर दिया। सारे पत्रकारन का जेई हाल है। ऐसा लगता है मानो बंदरों के हाथ में उस्तरा दे दिया गया हो।

जो चीज़ पूरी दुनिया देख रही उसको लेकर आप कह रहे हैं कि पत्रकार लोग नासमझ हैं, नालायक हैं। सबको पता है कि आपकी पार्टी में क्या घमासान मचा हुआ है और वो थमने का नाम नहीं ले रहा?
अरे तो आपने कैसे मान लिया कि हम सचमुच में कुटुंब के भीतर की लड़ाई को रोकने में फेल हो गए या कामयाब? हम तो चाहते हैं कि जे लड़ाई चले, बल्कि चुनाव तक चले। असल फ़ायदा तो इसके चलने में ही है, रुक गई तो खेल ख़त्म। फिर वही मोदी संवाद चलने लगेगा, दंगा-फसाद होने लगेंगे और उससे वोटर ऊबकर सरकार के कमकाज का ब्योरा माँगने लगेगा। विपक्षी दलों को जिंदा होने का मौक़ा मिल जाएगा सो अलग। वे विकास के सवाल पूछने लगेंगे। मीडिया का जंगल राज दिखाई देने लगेगा। अभी शांत हैं।

इस सबसे आपको हासिल क्या होगा? पब्लिक में तो छवि खराब होगी ही  मैसेज तो चला गया न कि पार्टी टूट गई है, बिखर गई है? 
पब्लिक मोमेरी भोत शार्ट होती है। देखो एकई झटका में सारे विवाद किनारे लग गए न। अब कोई नईं पूछ रहा कि विकास हुआ या नहीं। सबका ध्यान अखिलेश पर है। सब उसकी चरफ टकटकी लगाए देख रहे हैं। और इसीलिए अखिलेश की रेटिंग बढ़ती जा रही है। अभी किसी ने सर्वे करवाया था। पता चला कि अब तो अखिलेश यादव मुख्यमंत्री पद के लिए पहली पसंद हैं और बाक़ी सब उनसे काफ़ी दूर हैं।


क्या आपको पता था ऐसा होगा?
पता था? अरे हमई ने बिसात बिछाई और हमई से पूछ रए हो कि आपको पता होगा?

क्या मतलब? क्या ये पूरा खेळ आप खिला रहे हैं?
और नहीं तो क्या। अरे भाई पार्टी की जो हालत हो गई थी उसमें तो वो जीतने से रहती। इसलिए कुछ ऐसा धमाकेदार करना ज़रूरी हो गया था कि सबका ध्यान हमारी पार्टी और सरकार पर केंद्रित हो जाए और वो हो भी गया। दूसरे, चुनाव जीतने के लिए ज़रूरी था कि अखिलेश को हीरो बनाया जाए और ये काम भी हो गया।

लेकिन आपके इस खेल के चक्कर में अमर सिंह और शिवपाल यादव तो खलनायक बन गए न?
बिना खलनायकों के कोई फिलम चलती है का? नईं चलती। इसलिए ज़रूरी था कि हम लोगों में से ही कुछ लोग खलनायक बने। अब देखो हम तक तो खलनायक बन गए इस चक्कर में। टीपू ने घुमा-फिराकर हम पर ही अटैक कर दिया।

आप पर कैसे अटैक किया?
अमर सिंह पर अटैक करने का तो मतलब ही मुझ पर अटैक करना था। मगर हमने ये सहा पार्टी के लिए भी और अखिलेश के लिए भी। हमाए ऊपर अहैक होने से लोगों का विश्वास बढ़ गया।

मान गए आपके खेल को। आपने तो ऐसी स्क्रिप्ट लिखी कि सलीम जावेद भी आपके सामने फेल हो जाएं। आपको तो फिल्म इंडस्ट्री में होना चाहिए था?
अरे जे पालिटिक्स का सिनेमा से कछु कम है। बल्कि हम तो कहते हैं उससे ज़्यादई है। रही बात हमारे फिल्म इडस्ट्री में जाने की तो हमें बनावटी चीज़ों में भरोसा नहीं है। हम तो सचमुच का ड्रामा रचते हैं और खेलते हैं। 

आप चाहें जो बोलें मगर इस ड्रामेबाज़ीन ने आपकी इमेज की तो ऐसी तैसी कर दी?  
इमेज तो बनती बिगड़ती रहती है राजनीति में। कल अमर सिंह को निकाल देंगे तो इमेज फिर से बढ़िया हो जाएगी।

लेकिन अमर सिंह का जिस तरह से आपने बचाव किया उसे लोगों ने पसंद नहीं किया? बल्कि असर सिंह के साथ संबंधों को लेकर आरोप और भी गहरा गए हैं?
लोग पसंद करें या न करें, मेरे लिए तो वे काम के आदमी हैं। हमारे पता हीं कितने काम निपटाए उन्होंने जे किसी को पता नहीं है। हमने तो सबके सामने कहा न कि उसने मुझे जेल जाने से बचाया।

ज़रा खुलकर बताएंगे कि अमर सिंह ने ऐसा क्या जादू किया है कि आप उस पर लट्टू हो गए?
एक नईं बहुत से काम उसने हमारे लिए किए जो दूसरा कोई नहीं कर सकता। अब सब चीज़ें तो बताई नईं जाती न।

फिर भी कुछ तो बताइए?
अब छोड़िए, कुछ और पूछिए। मैंने कहा न कुछ चीज़ें राज़ ही रहें तो अच्छा रहेगा।

क्या ये राज़ अखिलेश को मालूम हैं?
मालूम हैं तभी तो उसके नाम से ही बिदका रहता है वो। इतनी बार समझाया कि अंकल बहुत अच्छे आदमी हैं, बड़े से बड़ा और छोटे से छोटा काम करने में माहिर हैं। हमारी तरह तुम भी उनकी सेवाओं लो और खुश रहो।

तो क्या बोले अखिलेश?
अभी उमर कम है न तो बिना सोचे-समझे जवाब दे देता है। कहता है कि आप ही सेवा करवा लो, हमें ज़रूरत नई है। हमने शिवपाल को कहा था तो फौरन मान जाता है। अमर सिंह वगैरा भी मान जाते हैं, मगर ये इतना आदर्शवादी बनता है न कि बेड़ा ही गर्क करवा दे। अरे भाई राजनीति में बहुत सारे उन्नीस-बीस करना पड़ता है। आपको मिले तो समझाना उसको। मीडिया के लोगों से उसकी अच्छी बनती है। आप समझाओ उसको।


अब ये बताइए कि इस ड्रामे का द एंड क्या है?
ड्रामे के बारे में तो नहीं बताया जा सकता मगर हाँ द एंड सुखांत हो गा। लब्बो लुआब येई है के अखिलेश को हीरो बनाओ, जनता का ध्यान बटाओ और अपने लिए माहौल बनाओ।

मुझे तो लगता है कि आपने इस ड्रामे के लिए जिन किरदारों को रचा था, वे अब आपके नियंत्रण से बाहर हो गए हैं और आपका द एंड आ गया है?
कभी-कभी ड्रामे में ऐसे मोड़ आते हैं जब लगता है कि सब कुछ समाप्त हो जाएगा, मगर फिर अचानक बादल छंटते हैं और सूरज सामने आकर रौशनी फैलाने लगता है।

यानी आपको भरोसा है कि पार्टी नहीं टूटेगी और अंत आपके हिसाब से ही होगा?
बिल्कुल, सौ फ़ीसदी। हालाँकि हमाई यादाश्त थोड़ी कमज़ोर है मगर आप देखना कि अखिलेश के हीरो बनते ही कैसे हवा बदलने लगेगी और रथयात्रा वगैरा से वह सबको हिला देगा। अब तो न बीजेपी के पास कोई रणनीति बची है और न ही मायावती के पास। इसलिए हमे तो पक्का यकीन है कि सब कुछ वैसेई होगा जैसा मैंने प्लान किया है।

हमाए ड्रामा को समझो, अखिलेश हीरो बन गओ न-मुलायम

Written by-डॉ. मुकेश कुमार












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