अरुणाचल के राज्यपाल को हटाने के लिए क्या अब राष्ट्रपति निर्देश देंगे?


अरुणाचल प्रदेश में फिर से संवैधानिक संकट खड़ा होता नज़र आ रहा है। राज्यपाल ज्योति प्रसाद राजखोवा ने पद से हटने के केंद्र के निर्देश को मानने से इंकार कर दिया है। उन्होंने चुनौती देने वाले अंदाज़ में ये तक कह दिया है कि वे पद नहीं छोड़ेंगे, हाँ, राष्ट्रपति चाहें तो उन्हें बर्खास्त कर दें।

Who want to sack Arunachal governor and if he adamant then who will take a call
ये वही राज्यपाल महोदय हैं जो केंद्र सरकार के इशारे पर राज्य में बहुत बड़े संवैधानिक संकट को जन्म दे चुके हैं। उन्होंने चुनी गई नबाम तुकी सरकार को गिराने का खेल खेला था। भाजपा  के सहयोग से कलिखो पुल की अगुवाई में सरकार बनने का रास्ता प्रशस्त करने की वजह से वे राष्ट्रीय स्तर पर विवादों में रहे।

बहरहाल, सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद वहां फिर से नई सरकार बन गई है, मगर  राज्यपाल राजखोवा की गाड़ी पटरी पर नहीं आ रही। अपनी और बीजेपी सरकार की किरकिरी करवाने के बाद अब एक बार फिर से उन्होंने एक और बहुत बड़े अनपेक्षित विवाद को सामने ला खड़ा किया है। ज़ाहिर है कि केंद्र सरकार के लिए ये बहुत बड़ी धर्मसंकट की स्थिति है क्योंकि वही राज्यपाल जो उसके इशारे पर कुछ भी करने के लिए तैयार था, अब बाग़ी हो गया है।



राज्यपाल  एक तरह से हाराकिरी के अंदाज में हैं। उनका दावा है कि उन्हें सीधे राष्ट्रपति भवन से नहीं, गृह मंत्रालय से भी नहीं किसी 'प्राइवेट' व्यक्ति के माध्यम से किस अति उच्च पदस्थ हस्ती ने संदेश भेजा था। राजखोवा ने एक निजी चैनल में बातचीत के दौरान दो टूक शब्दों में यह बात कही। देश के राजनीतिक इतिहास में शायद ही इसके पहले किसी राज्यपाल ने इस तरह से बात को दुनिया के सामने खोलकर रखा होगा। उन्होंने कहा कि किसी 'प्राइवेट' व्यक्ति” के माध्यम से संदेश भेजा गया  कि आप स्वास्थ्य जनित कारण बताते हुए अपना पद छोड़ दें।

असम के भीतर जेपी राजखोवा की अपनी एक विशिष्ट छवि है। उनको राज्यपाल बनाए जाने पर यहां के लोगों को काफी खुशी भी हुई थी। फिलहाल देश भर में वे अकेले असमिया हैं, जो किसी राज्य में राज्यपाल  हैं। उनके खुलासे ने पूरे राज्य में सनसनी फैला रखी है। इसे असमिया सेंटीमेंट से जो़ड़ने की  कोशिशें भी शुरू हो गई हैं।

स्वयं राजखोवा ने बातचीत के दौरान समाचार चैनल में इसे लेकर अत्यंत अपमानित महसूस करने की बात कही है। तुकी सरकार को गिराने और पुल के नेतृत्व में सरकार बनाने में अपने 'इस्तेमाल' होने की बात को तो उन्होंने नहीं माना। लेकिन साफ तौर पर कहा कि वे पूरी तरह से स्वस्थ हैं, फिर क्यों इस्तीफा दें। वैसे भी वे तब तक अपना पद छोड़ने से रहे, जब तक उन्हें नियुक्त करने वाले राष्ट्रपति अथवा प्रधानमंत्री या गृह मंत्री की ओर से ऐसा कुछ नहीं कहा जाता।



राजखोवा की समूची बातचीत बेहद अंतर्वेदना से भरे किसी आत्म-स्वाभिमानी व्यक्ति की प्रतिध्वनि दे रही थी। उनकी बात को सही मानें तो ये जानकर हैरत होती है  कि एक अति उच्च क्षमता वाले व्यक्ति के किसी 'प्राइवेट' व्यक्ति के माध्यम से भेजे गए संदेश की जानकारी खुद गृह मंत्रालय को नहीं थी।

 राजखोवा के अनुसार हालांकि बाद में यह बात सही भी साबित हो गई। अब वे इस बात पर आमादा हैं कि कुछ भी हो जाए, इस तरह से पद नहीं छोड़ेंगे। स्थिति साफ होनी ही चाहिए। राष्ट्रपति चाहे अपनी नाखुशी जाहिर करें अथवा उन्हें बर्खास्त करें। और सरकार चाहे तो संविधान के अनुच्छेद 156 के प्रावधानों का इस्तेमाल कर सकती है।

अरुणाचल प्रदेश पर चीन की निगाहें दशकों से हैं, यह बात किसी से छिपी नहीं हैं। हाल के समय में सीमा पर दोनों देशों की तरफ बढ़ीं रक्षा तैयारियां भी सबके सामने आ चुकी हैं। वैसे में देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए भी बेहद संवेदनशील इस राज्य में इस तरह की राजनीतिक अस्थिरता सचमुच में काफी चिंता का विषय बन गई है।

राज्यपाल ने ये कहकर कि केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने फोन पर उन्हें अच्छा काम करने की शाबाशी दी है, इस्तीफे के परामर्श की बात नकारी है। लेकिन उसके ठीक बाद जब उन्होंने एक अन्य केंद्रीय मंत्री से बात की तो जवाब मिला कि फैसला ऊपर का है। बेहतर होगा कि वे 31 अगस्त तक स्वास्थ्य कारणों से पद छोड़ दें, बदले में उन्हें माकूल ओहदा दिया जाएगा।

राजखोवा कहते हैं कि किसी राज्य के राज्यपाल पद पर आसीन होने के बाद अब वे क्यों किसी कैबिनेट मंत्री जैसे पद को लालायित होंगे। सरकार के इस बैकडोर फैसले ने उन्हें काफी मर्माहत और अपमानित अनुभव कराया है। लेकिन असल बात ये है कि उनकी भूमिका ने केंद्र सरकार की बहुत भद पिटवाई है और वे कभी भी कुछ और ग़ुल खिला सकते हैं इसलिए केंद्र उन्हें बर्दाश्त नहीं करेगा। अब सवाल ये है कि क्या राष्ट्रपति उन्हें हटाने के निर्देश जारी करेंगे?

अरुणाचल के राज्यपाल को हटाने के लिए क्या अब राष्ट्रपति निर्देश देंगे?
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सत्यनारायण मिश्र, गुवाहाटी
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