अमेरिका के राषट्रपति बराक ओबामा की ये टिप्पणी बिल्कुल सही है कि रिपब्लिकन पार्टी की ओर से राषट्रपति पद के दावेदार देश की सर्वोच्च जिम्मेदारी सँभालने के लिए अनफिट हैं, अयोग्य हैं। उनकी ये भविष्यवाणी भी सही साबित हो रही है कि ट्रम्प अपनी अयोग्यता का अभी और प्रदर्शन करेंगे।
हिलेरी क्लिंटन के डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से उम्मीदवार चुने जाने के बाद से ट्रम्प यही कर भी रहे हैं। उन्होंने हिलेरी को शैतान पुकारना शुरू कर दिया है। इसके पहले वे उन्हें धूर्त और दग़ाबाज़ कह चुके हैं। उनके ये संबोधन बताते हैं कि वे किस स्तर तक जाने वाले हैं।
वैसे इसका अंदेशा पहले से लोगों को था। जिस तरह से उन्होंने रिपब्लिकन पार्टी की उम्मीदवारी हासिल करने के लिए अपनी ही पार्टी के प्रतिद्वंद्वियों के लिए अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल किया था, उससे प्रेक्षकों को समझ में आ गया था कि ट्रम्प का अपना स्तर क्या है और आगे चलकर वे चुनाव को कितना नीचे ले जा सकते हैं।
याद कीजिए कि ट्रम्प एक जनसभा में अपने लिंग की साइज़ के बारे में टिप्पणी कर डाली थी। यहाँ तक कि वे बिल क्लिंटन-मोनिका लेविंस्की प्रसंग के ज़रिए हिलेरी पर घटिया हमला करने से भी नहीं चूके थे। हिलेरी के प्रायवेट ईमेल सर्वर के विवाद को भी उन्होंने खूब उछालने की कोशिश की थी, मगर उसका कोई असर होता न देख वे हताशा में और भी नीचे उतर गए।
डेमोक्रेटिक पार्टी के जिस अधिवेशन में हिलेरी का नामांकन तय हुआ उसमें एक पाकिस्तानी-अमेरिकी दंपति ने अपने बेटे हुमायूँ ख़ान की शहादत का ज़िक्र करते हुए ट्रम्प के नस्लवादी अभियान के परखचे उड़ा दिए थे। इसके बाद से ट्म्प और बौरा गए हैं। उन्होंने हुमायूं की माँ का मज़ाक उड़ाया जिसका उन्होंने जमकर जवाब दिया। इस प्रसंग ने ट्रम्प की फ़ज़ीहत करवा दी।
ट्रम्प की समस्या ये भी है कि उन्हें उनकी ही पार्टी के बहुत से लोग नापसंद कर रहे हैं और खुलकर विरोध भी कर रहे हैं। बार-बार ट्रम्प के बयानों से पैदा होने वाले धर्मसंकटों से उबरने के लिए उन्हें खुद को उनसे अलग करना पड़ रहा है। कुछ ने तो सीधे-सीधे हिलेरी का समर्थन करने का ऐलान भी कर डाला है। यानी उनकी अपनी पार्टी के लोग ही उनकी जड़ों में मट्ठा डालने में लगे हुए हैं।
दूसरी ओर, हिलेरी के मुख्य प्रतिद्वंद्वी सैंडर्स् बर्नी अब उनका पूरी तरह से साथ दे रहे हैं। ट्रम्प कोशिश में हैं कि सैंडर्स के समर्थकों को वे अपनी ओर खींच लें और इसके लिए वे सैंडर्स पर भी हमला करने से बाज़ नहीं आ रहे। लेकिन उनकी ये तरकीब फिल्हाल कामयाब होती नही दिख रही।
ट्रम्प को ये भी लग रहा है कि गाली-गलौज़ वाली उनकी प्रचार शैली को रिपबल्किन पार्टी के कार्यकर्ताओं तथा समर्थकों ने पसंद किया था और इसी से वे हिलेरी को परास्त करने में भी सफल हो जाएंगे। गोरे नस्लवादी अमेरिकी मतदाताओं का मूड इस समय कुछ इसी तरह का दिखलाई भी दे रहा है। वे अश्वेतों के प्रति तो असहिष्णुता दिखा ही रहे हैं, मुसलमानों और दूसरे ग़ैर अमेरिकी मूल के लोगों से भी चिढ़े हुए हैं। ट्रम्प उनकी इस भावना को और उभारने की कोशिश कर रहे हैं।
लेकिन ट्रम्प की मानसिक बनावट भी एक घटिया अमीर अय्याश की है जो अहंकार और बड़बोलेपन का शिकार है। इसलिए बहुत लाज़िमी है कि उनका चुनाव अभियान उनके व्यक्तित्व के अनुरूप हो। अब ये तो चुनाव नतीजं से ही पता चलेगा कि अमेरिका के मतदाताओं को वे कब तक और कितना लुभाते हैं।
लेकिन ये तो तय लग रहा है कि नवंबर तक ट्रम्प चुनावी माहौल को गंदला देने से बाज़ नहीं आएंगे। हालाँकि हिलेरी ने अपने चुनाव प्रचार को अभी तक शालीन रखा है मगर यदि डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से भी जवाब देने का सिलसिला शुरू हुआ तब तो हाल और भी बुरा हो सकता है।