देशभक्ति के सर्टिफिकेट बाँटने वालों सियासत को समझो, नफ़रत मत बाँटो


उड़ी के सैनिक ठिकाने पर हुए हमने में 18 जवान शहीद हो गए। बेहद दुख भरी घटना है ये। नाराज़गी होना भी जायज़ है। मगर कुछ लोग इस घटना को भी भुना रहे हैं, नफरत फैलाने के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं। किसके दिल में क्या है क्या नहीं है यह जानना उनका जाती काम बन गया है, और नफरत ने उन्हें अंधा कर दिया है। वे सही ग़लत में फ़र्क़ भी नहीं कर सकते हैं।

Distributing-certificates-of-patriotism
कितनी प्राकृतिक आपदाएं आती हैं और अचानक से लोग मौत के मुँह में चले जाते हैं। ऐसी ही दु:ख की घड़ियों में कुछ लोग नया साल धूमधाम से मनाते हैं, होली-दिवाली, ईद, शादी-ब्याह सब सेलीब्रेट करते हैं। सोचिए अगर दु:ख की घड़ी में कुछ नौजवान जो इन्जॉय करते हैं उन्हें देशद्रोही घोषित कर देना ठीक है?



आज के टाइम में एक तो किसी को किसी से संवेदना नहीं है। अब लोग समाजवादी कम व्यक्तिवादी ज्यादा हो गए हैं, आज हर शख़्स अपनी जाती जिंदगी के हालात में बंधा है। कुछ लोगों की तो संवेदनाएं समाप्त हो ही गई है। उन्हें कुछ फर्क नहीं पड़ता। किसी से उन्हें लगाव नहीं होता, लेकिन अभी भी कुछ लोग ऐसे हैं जो अच्छे इंसान है।  उनके दिल दिमाग़ सुलझे हुए हैं, संवेदना भी है उनके पास, लेकिन अपनी उलझनों में उलझे हुए हैं चाहकर भी कुछ किसी के लिए न कह पाते हैं न कर पाते हैं, तो क्या ऐसे लोगों को हम देशद्रोही ज़ल्लाद घोषित कर दें?

किसने दिया है किसी को यह हक़ के कोई भी किसी को भी अपने नफरत के आइने में जांचें, और देशद्रोही कह दे? इसी समाज में एक ही मोहल्ले में मौत हो जाती है और उस घर में मातम छा जाता है, और उसी दिन उसी मोहल्ले में किसी घर में शादी होती है और वहां लोग इन्जॉय करते हैं, डीज़े बजाते हैं, कूदते हैं, नाचते हैं, पटाखे फोड़ते है, जब्कि वह लोग अच्छी तरह से जानते हैं कि हमारे ही मोहल्ले के एक घर में मौत हो गई है, तो क्या हम उन नादान संवेदना रहित लोगों को जाकर मार दें? देशद्रोही घोषित कर दें?

इस तरह की असंवेदनशीलता तो लोगों में पैदा होती ही जा रही है, रही सही कसर सोशल मीडिया ने पूरी कर दी है, लोग अब अपनी संवेदना फेसबुक और वटसऐप पर ही व्यक्त करते हैं, लाइक, शेयर, कमेन्ट्स के द्वारा.... कल शहीद हुए जवानों पर भी लाखों लोगों ने अपनी संवेदना इसी तरह फेसबुक- वटसऐप के द्वारा व्यक्त की है, और आगे भी इसी तरह करेंगे क्योंकि अब वक्त आगे ही जाएगा लौटकर पीछे तो जाने से रहा।

जिन - जिन भारतीयों ने जवानों के शहीद होने की ख़बर को शेयर किया, लाईक किया, कमेन्ट्स लिखे, फेसबुक वटसऐप पर श्रृद्धांजलि व्यक्त की, क्या वही सच्चे देशभक्त हैं, बाक़ी तो गद्दार हैं, देशद्रोही हैं? जिन भारतीयों के घरों में शादियाँ थी और उन्होंने अपनी शादियों में इन्जॉय किया, वटसऐप और फेसबुक पर शहीदों को श्रृद्धांजलि नहीं दी, वो भी देशद्रोही हैं, गद्दार हैं, मार देना चाहिए उन्हें?

आज की तारीख़ में हर शख़्स जज बन गया है ।  किसी को भी अपने नज़रिये के पैमाने में तोलेगा और देशद्रोही घोषित करेगा और मार देगा।  देशभक्ति के सर्टिफिकेट बांटने वालों की बाढ़ आ गई है> अगर किसी साहित्यकार, लेखक, पत्रकार ने उनके नज़रिये के मुताबिक नहीं सोचा, नहीं लिखा तो वह गद्दार है, देशद्रोही है..... ?



लिखने वाले भी तो इंसान होते हैं, उनकी जाती परेशानियां होती हैं, लगातार लिखते-लिखते अगर कभी-कभी वो लिखना कुछ दिनों, हफ्तों, महिनों के लिए बंद कर दें, अपने कुछ व्यक्तिगत कारणों से तो क्या उन्हें शक़ की नज़र से देखने लगें? कि फलां फलां विषयों पर लिखा, आज कुछ विषयों पर नहीं लिखा, तो वो देशद्रोही है, गद्दार है....?

शहीद जवानों की घटना पर अगर कोई साहित्यकार, पत्रकार, लेखक या कोई आम आदमी किसी व्यक्तिगत कारणों से नहीं लिख सका, टिप्पणी नहीं कर सका तो क्या उसकी नीयत पर हम शक करने लगेंगे? या फिर किसी आम आदमी ने, किसी बीमार ने, डिप्रेशन के मरीज़ ने थोड़ा सा इन्जॉय कर लिया, क्योंकि उसका डॉ उसे खुश रहने के लिए फोर्स करता है, तरह- तरह की ऐक्टिविटी में इन्वॉल्व होने के लिए सलाह देता है, और कोई अपनी ऐक्टिविटी के द्वारा इन्जॉय कर लेता है तो हम उसे देशद्रोही कह देंगे? उसे लताड़ेंगे?

अपनी अभिव्यक्ति को व्यक्त करने का सबका नज़रिया अलग- अलग होता है, कोई अपनी खुशी ग़म को ज़ाहिर कर देता है, बता कर, लिख कर, कोई नहीं ज़ाहिर करता है... नॉर्मल रहता है, कुछ भी व्यक्त नहीं करता, तो क्या अब ऐसे व्यक्ति को हम जांचेंगे? उसकी आलोचना करेंगे? क्या मालूम की उस व्यक्ति को अच्छी बुरी घटनाओं पर हमसे भी ज्यादा दु:ख होता हो  खुशी होती हो.... और वो ज़ाहिर नहीं करता, लेकिन कुछ लोगों को तो जन्मसिद्ध अधिकार है लोगों की निंदा करने का, और नीयतों पर शक़ करने का।

और आजकल ये फेसबुक और वटसऐप तो ऐसी बलां हैं कि भाई अगर कोई फेसबुक वटसऐप पर है तो, वहां हाज़िरी देनी ज़रूरी है और अपने विचार को व्यक्त करना भी ज़रूरी है, नहीं तो कुछ लोग वाट लगाने से बाज़ नहीं आते, व्याध की तरह ज़ाल बिछाकर बैठे रहते हैं, जैसे ही कोई फेसबुक वटसऐप के नियमों का पालन न करे, इनके मन मुताबिक अभिव्यक्त न करे, इनके मन मुताबिक पोस्ट न शेयर करे, बस हमला कर देंगे, देशद्रोही का सर्टिफिकेट थमा देंगे।

जो लोग शहीदों की घटना पर संवेदनशील होने का ढोंग कर रहे हैं, दूसरों को देशद्रोही के सर्टिफिकेट बांट रहे हैं, उन्होंने भले ही अपनी जाती जिंदगी से जुड़े कामों को तर्क़ (ऐवॉइड ) किया हो या न किया हो, तीनों वक्त की रोटी छक कर खाई हो, मॉर्निंग वॉक किया हो, खेलकूद, फुटबाल, वालीवॉल, क्रिकेट, ताश, टेनिस, गिट्टे, कंच्चे, लट्टू खेले हों, फिल्में- नाटक देंखे हों... इसके बावज़ूद दूसरों पर टिप्पणी ज़रूर करेंगे।

आजकल दो चेहरे वाले और फेसबुकिया- वटसऐपया संवेदनशील व्यक्तियों की टिप्पणियों से ईश्वर रक्षा करे, यह तो सबसे ज्यादा ख़तरनाक हैं, विदेशियों से भी ज्यादा। सत्ता में कभी कॉग्रेस रहेगी और कभी बीजेपी, कोई गद्दी पर चढ़ेगा और कोई उतरेगा। कुर्सी कभी किसी एक की न थी और न कभी होगी। यह बात कॉग्रेस बीजेपी समर्थकों को क्यों समझ में नहीं आती? किसी राजनीतिक पार्टी का समर्थन क्या हम लोग आपस में नफरत करके ही कर सकते हैं?



अपने जाती मुफाद के लिए तो अंदरूनी पर्दे के पीछे से कभी-कभी राजनीतिक दल भी, आपस में हाथ मिला लेते हैं, तो फिर हम अवाम, आम आदमी क्यों कॉग्रेस- बीजेपी समाजवादी, बहुजनसमाजवादी, पार्टियों के चक्कर में आपस में नफरत करते हैं? एक-दूसरे पर शक़ करते हैं? कल की शहीदों की शहादत पर एक दूसरे पर उंगली न उठाएं, आपसी भाईचारे को न ख़राब करें।

दोषी है हमारी बीजेपी- कॉग्रेस की आती - जाती सरकारें, जो पाकिस्तान का कुछ नहीं करती, अपने जाती मुफाद के लिए तो पाकिस्तान और भारत की सरकारें आपस में गले मिलती हैं, हाथ मिलाती हैं, दावतें उड़ाती हैं, अभी कुछ दिन बाद ही मोदी जी और नवाजशरीफ जी गले मिल लेंगे, और हमें आपस में लड़ा देंगे, और ऐसे नेताओं के लिए जो लोग आपस में लड़ते हैं, बेवकूफ हैं।

मैं सिर्फ मोदी जी नवाजशरीफ के लिए नहीं कह रही, पिछले साठ सालों में आई गई सरकारों के संदर्भ में कह रही हूँ, हमारे जवान ऐसे ही शहीद होते रहेंगे, और ये पार्टियां उनकी लाशों पर अपनी राजनीतिक रोटियाँ सेक़ती रहेंगीं..... आम आदमी,मज़दूर, ग़रीब लोग देशभक्ति के सर्टीफिकेट बांटने का काम न करें, मुट्ठी में नमक लेकर न घूमे, यह काम नेताओं का है,और उन्हीं पर शोभा देता है।

देशभक्ति के सर्टिफिकेट बाँटने वालों सियासत को समझो, नफ़रत मत बाँटो
Those who are distributing certificates of patriotism, must understand politics and should not spread hatred


Written by-मेहजबीं


अन्य पोस्ट :
बस गाल बजाते रहे, एक ही झटके में खुल गई पूरी पोल-पट्टी
They got exposed completely while busy making tall claims.
लोकतंत्र बना रहेगा, लेकिन इस तरह दबे पाँव आएगा फासीवाद
कश्मीर को देखना है तो मिथ और अफ़वाहों के पार देखना होगा-आँखों देखा कश्मीर-2
If you want to see Kashmir, you have to see beyond myths and rumours
मैंने कश्मीर में वह देखा जिसे कोई नहीं दिखा रहा और जो देखा जाना चाहिए
What I have seen in Kashmir, nobody is showing and it must be seen
हर टीवी चर्चा में संघ की नुमाइंदगी के निहितार्थ समझिए
कश्मीर के दो दुश्मन-कश्मीरी अलगाववाद और हिंदू राष्ट्रवाद
Two enemies of Kashmir-Kashmiri Separatism and Hindu Nationalism
विचारों को नियंत्रित करने के लिए संघ की नई रणनीति
RSS’s new strategy for propagating its ideology
आंबेडकर की नज़र में धर्म, धर्मनिरपेक्षता और मानवता
Religion, Secularism and humanity from the eyes of Baba Saheb Ambedkar

Share on Google Plus

0 comments:

Post a Comment