मेरी प्रतिज्ञा है, बदला लेकर रहूँगा - पी चिंदंबरम आसानी से इंटरव्यू देने वालों में से नहीं हैं। वे जब वित्तमंत्री या गृहमंत्री हुआ करते थे तब मैंने कई बार उनसे इंटरव्यू की गुज़ारिश की थी मगर उन्होंने कभी मौक़ा देना मुनासिब नहीं समझा।
उन्हें अँग्रेजी के पत्रकार ज़्यादा पसंद आते हैं।
उन्हें अँग्रेजी के पत्रकार ज़्यादा पसंद आते हैं।
![मेरी प्रतिज्ञा है, बदला लेकर रहूँगा मेरी प्रतिज्ञा है, बदला लेकर रहूँगा](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhijyBVDoZLaRj0qc6057vaIH7t8ZU4qphcKdyhAekm2yKEH-fap_N6XjtjWGCf37LuHCe3N8RerB80mTV9u-8awIwvlZNd1O67583jMZC9LqzWlFgrMFZgeDwMmwZXfg29KlgyQ138KIk/s16000-rw/Chidambaram1.jpg)
मगर इस बार जेल से छूटने के बाद वे बहुत मेहरबान नज़र आए। मेरे एक ही निवेदन पर उन्होंने हाँ कर दी। दरअसल, वे अंदर तक भरे बैठे हैं और बस बोलने का मौक़ा ढूँढ़ते रहते हैं।
अब ज़्यादा से ज़्यादा लोगों तक अपनी बात पहुँचाना उनका मक़सद है, ख़ास तौर पर हिंदी भाषियों तक।
बहरहाल, तिहाड़ प्रवास ने उन्हें काफी कुछ बदल डाला है। अपने बहुप्रचारित अकड़ूपन के विपरीत वे बहुत विनम्र हो गए हैं। वड़क्कम का जवाब उन्होंने मुस्कराकर दिया जो कि उनके पहले वाले स्वभाव से उलट था।
उन्हें राजनीति की अनिश्चितता और नश्वर संसार के बारे में भी काफी ज्ञान हो गया है जो उन्होंने चायपानी के समय मुझे भी मुक्तकंठ से प्रदान किया।
बस दिक्कत एक ही थी कि असहमति व्यक्त करने पर वे चिढ़ जाते थे। वे एक ही बात दोहरा देते थे कि एक बार तिहाड़ जाओगे तब समझ में आएगा ऐसे नहीं।
बहरहाल, तिहाड़ प्रवास ने उन्हें काफी कुछ बदल डाला है। अपने बहुप्रचारित अकड़ूपन के विपरीत वे बहुत विनम्र हो गए हैं। वड़क्कम का जवाब उन्होंने मुस्कराकर दिया जो कि उनके पहले वाले स्वभाव से उलट था।
उन्हें राजनीति की अनिश्चितता और नश्वर संसार के बारे में भी काफी ज्ञान हो गया है जो उन्होंने चायपानी के समय मुझे भी मुक्तकंठ से प्रदान किया।
बस दिक्कत एक ही थी कि असहमति व्यक्त करने पर वे चिढ़ जाते थे। वे एक ही बात दोहरा देते थे कि एक बार तिहाड़ जाओगे तब समझ में आएगा ऐसे नहीं।
चाय ख़त्म करके मैंने सवाल जवाब का सिलसिला शुरू किया।
जेल से छूटने के बाद से आप हाएपर एक्टिव हो गए हैं। आपने सरकार के ख़िलाफ़ मोर्चा खोल दिया है।
मोर्चा तो खोलना ही था। मुझे 126 डेज़ तक तिहाड़ में बंद रखा, बेल भी नहीं होने दिया। सुप्रीम कोर्ट भी बोला कि ये ठीक नहीं था। सुप्रीम कोर्ट ने हमको केस के बारे में बोलने से मना किया दैट इज़ व्हाई आई डोट वांट टू कमेंट ऑन माई केस। लेकिन मैं बस इतना कहूँगा कि आई एम इन्नोसंट।
क्या आप ये कहना चाहते हैं कि आपको फँसाया गया है?
मैं तो डे वन से यही कह रहा हूँ। मैंने कुछ भी गड़बड़ नहीं किया एंड देयर इज़ नो एविडेंस अगेंस्ट मी। लेकिन एजेंसीज़ को मेरे पीछे लगा दिया और जुडीसिअरी का यूज़ करके मुझे तिहाड़ भेज दिया। मैलाफाइड इटेंसन था कोई भी देख सकता है।
आपको क्यों फँसाया गया?
इसलिए कि जब मैं होम मिनिस्टर था तो सोहराबुद्दीन केस में अमित शाह को जेल जाना पड़ा था। वो अब रीवेंज लेना चाहता, बदला लेना चाहता।
आपने उनको फँसाया होगा, इसलिए वे आपको फँसा रहे हैं....
मैंने किसी को भी नहीं फँसाया। सोहराबुद्दीन फेक एनकाउंटर केस में उनका कोई तो रोल था, उसी के लिए उसको अंदर किया था। यू नो, गुजरात सरकार कैसे चलता था। उधर में और भी फेक एनकाउंटर हुआ। गुजरात रायट्स में भी उसका रोल ठीक नहीं था।
तो इसका मतलब है आप अभी ख़तरे से बाहर नहीं हैं। वे आपको आगे भी फँसा सकते हैं?
यस आई नो। मैं ये भी जानता हूँ कि अगर मोदी शाह चाह लेंगे तो किसी का कुछ भी कर सकते हैं। दे आर सो पॉवरफुल दैट दे कैन डू एनीथिंग। इसलिए तिहाड़ से छूटकर भी फ्री नहीं हूँ। लेकिन इतना जानता हूँ कि हमको पोलिटिकली फाइट करना होगा इसलिए मैंने मोर्चा खोल दिया।
लेकिन पोलिटिकली दे ऑर वेरी स्ट्रांग। उनके पास तो साढ़े चार साल हैं अभी। आप क्या कर लेंगे?
यू डोंट नो अबाउट पॉवर गेम। ये प्लेइग कार्डस के कैसल के माफ़िक होता। एक कार्ड गिरा नहीं कि पूरा कैसल गिरता। इसलिए राजनीति में कोई जितना पॉवरफुल होता है उतना ही वीक भी।
आप काँग्रेस नेताओं के मुक़ाबले ज़्यादा आशावादी दिख रहे हैं?
आशावादी होने के अलावा कोई रास्ता नहीं है मेरे पास। अगर फाइट करना है तो जीतने का भरोसा होना चाहिए, नहीं तो शुरू होने के पहले ही हार हो जाता।
अपने जेल के कुछ अनुभव बताइए। कैसे कटते थे दिन-रात?
बस इसी उम्मीद में कि इस बार बेल मिल जाएगा। कुछ पुराने दिनों की याद कर लेता था और कुछ लिख-पढ़ लेता था। लेकिन सबसे अच्छा टाइम पास था ये सोचना कि इन दोनों को निपटाकर कैसे फिर से मिनिस्टर बना जाए। मेरी प्रतिज्ञा है कि बदला लेकर रहूँगा। दोनों को हटाकर ही दम लूँगा।
इतने में कोई फोन आ गया। बात करने के बाद वे एकदम से प्रफुल्लित हो गए।
मैंने पूछा क्या हुआ, क्या सरकार ने केस वापस ले लिया। बोले नहीं। नया डाटा आ गया हैं। इकोनॉमी और भी नीचे चला गया है। जीडीपी फिर गिर गया और इंडस्ट्री का डाटा भी खराब है।
मैंने कहा ये तो देश के लिए बहुत चिंता का विषय है....
अरे देश के लिए तो है ही, मगर सबसे ज़्यादा इस गौरमेंट के लिए है। वह कुछ कर ही नहीं पा रही है। इकोनॉमी को अनपढ़ चलाएंगे तो यही होगा।
आप निर्मला सीतारमन को अनपढ़ कह रहे हैं?
वह तो है ही अनपढ़। कभी बोलती है मैं प्याज़ नहीं खाता तो कभी कहती है ऑटो सेक्टर में मंदी इसलिए है क्योंकि लोग गाड़ियाँ खरीदने के बजाय ओला ऊबर में चलने लगे हैं। मगर मैं उस बेचारी की बात नहीं कर रहा हूँ, क्योंकि उसका कोई फॉल्ट नहीं है।
फायनेंस मिनिस्टर का फॉल्ट नहीं है तो फिर किसका है?
सी, सारे फ़ैसले तो पीएमओ से होते हैं, फायनेंस मिनिस्टर तो केवल रबर स्टाम्प है। उसके हाथ में कुछ नहीं है। वह तो वही करती है जो पीएमओ कहता है। वही बोलती है जो उससे बोलने को कहा जाता है। जब बोलते भी नहीं बनता तो अफसरों की ओर माइक सरका देती है।
देखिए, आप मोदी से नाराज़ हैं इसका मतलब ये नहीं कि सारा दोष उन पर डाल दें?
टेल मी वन थिंग नोटबंदी का फ़ैसला किसने लिया था? पीएम ने न। मोदीजी ने तो कैबिनेट को भी नहीं बताया था और आरबीआई को फोर्स किया था आख़िरी मिनट में। अब नोटबंदी से ही तो इकोनॉमी की बरबादी शुरू हुई थी। फिर जेटली को धमकाकर जीएसटी को लागू करवा दिया। इसके बाद जो भी हुआ सब जानते हैं।आरबीआई का गवर्नर छोड़कर चला गया। एडवाइजर छोड़कर चले गए। तो मेरा कहना है कि पीएमओ ने ही गड़बड़ी फैलाई है।
लेकिन फायनेंस मिनिस्ट्री ने हाल में कई क़दम उठाए हैं और घोषणा की है कि वह और भी बहुत कुछ करने जा रही है।
आप फायनेंस मिनिस्ट्री मत कहिए, पीएमओ कहिए, वही सही है। देखिए मुझे लगता है कि पीएमओ को ये समझ में नहीं आ रहा कि प्राब्लम कहाँ है। बीमारी दिल में है और इलाज किडनी का कर रहे हैं। ऐसे में पेशेंट ठीक कैसे होगा।
आप क्या एडवाइज़ देंगे पीएम को?
ये पीएम किसी का एडवाइज़ सुनता कहाँ है। वह तो सेल्फ एब्सेस्ड है, सोचता है कि उसको सब पता है। सबसे पहले तो कोई उसे बताए कि वो गुजरात का सीएम नहीं है इस विशाल देश के प्राइम मिनिस्टर हैं। दूसरे, तमाशेबाज़ी, जुमलेबाज़ी बंद करके सीरियसली इकोनॉमी को एड्रेस करें।
आपके पास कोई रास्ता है इकोनॉमी को ठीक करने का?
बिल्कुल है। लेकिन मैं आपको क्यों बताऊँ? पीएम मेरे से बात करें तो ज़रूर बताऊँगा नेशनल इंटरेस्ट में।
अच्छा ये बताइए काँग्रेस का रिवाइवल होगा या वह यूँ ही मरणासन्न पड़ी रहेगी? उसकी बीमारी का इलाज कभी होगा?
इलाज होगा नहीं हो गया है। हर जगह मज़बूत हो रहा है पार्टी और उसे कोई नेता नहीं, जनता खुद मज़बूत कर रही है। आप देखना काँग्रेस मुक्त भारत बनाने चले लोग बीजेपी मुक्त भारत बनाकर दम लेंगे। मैं उनको एडवांस में थैंक्स देना चाहता हूँ।
उनका बेटा कार्ती चिदंबरम आ गया। वह भी बेल पर है। थोड़ा निराश हताश है। उसने चिदंबरम के कानों में कुछ कहा। चिदंबरम के चेहरे के भाव बदल गए। वे थोड़ा चिंतित दिखने लगे।
मैने कहा क्या हुआ.....आप चिंतित दिख रहे है?
नहीं कोई नई बात नहीं है। पता चला है कि मुझे किसी दूसरे मामले में फँसाकर फिर से जेल भेजने की साज़िश रची जा रही है।
मैं आगे कुछ पूछता इससे पहले वे ये कहते हुए उठ गए कि उन्हें वकील से कसंल्ट करना है।
Written By
Prof.(Dr.) Mukesh Kumar
[Sr. Journalist, TV anchor, Writer]