लोभी-लालचियों के सच का बाज़ार


दुनिया भर में रियलिटी शो सनसनीखेज़ रहस्योद्घाटनों और विवादों को दम पर ही सफलता हासिल करते हैं, इसलिए सच का सामना का निर्माण करने वाली कंपनी और उसे दिखाने वाला टीवी चैनल दोनों इस समय सबसे ज़्यादा खुश होंगे। इस कार्यक्रम को लेकर राजनीतिक दलों ने संसद में हंगामा किया और आम जनता में से भी विरोध के स्वर सुनाई पड़ रहे हैं।

बहुत सारा विरोध प्रायोजित भी हो सकता है, क्योंकि जैसा कि प्रारंभ में ही कहा गया है, रियलिटी शो को विवाद चाहिए। इसी से वे चर्चा में आते हैं और जितना ज़्यादा चर्चा में आते हैं उतना ही देखे जाते हैं। सच का सामना की भी शुरूआती रेटिंग रिकार्ड तोड़ आई है। मगर शो की सफलता से आगे बढ़कर देखा जाए कि इसका विरोध जिन आधारों पर हो रहा है वह कितना सही है और क्या इस पर रोक लगाने की माँग सही है?

अब इसमें तो कोई संदेह या विवाद की गुंज़ाइश नहीं है कि मनोरंजन चैनलों के बीच आगे रहने की कड़ी सपर्धा है और वे आगे रहने के लिए नए-नए हथकंडे आज़माने पर उतारू हैं। इसीलिए कोई चैनल राखी का स्वयंवर रचा रहा है तो कोई सच की अग्निपरीक्षा करवाने पर उतारू है। कार्यक्रमों के निर्माता और चैनल बाज़ार में बैठे हैं और वे मुनाफ़ा बनाने के अलावा कुछ नहीं सोचते। ये ऐसा कोई रहस्य भी नहीं है जिससे हम सब वाकिफ़ न हों। ख़ास तौर पर रियलिटी शो में हिस्सा लेने वाले तो भली-भाँति जानते हैं कि वे कहाँ जा रहे हैं और उनके साथ क्या होने वाला है। मगर ये तमाम लोग लालची लोग हैं। ये प्रसिद्धि और धन के प्रलोभन में खिंचे चले जाते हैं और परिणामों की परवाह नहीं करते। इसलिए सच का सामना बनाने और दिखाने वालों को आड़े हाथों लेते वक्त ये ज़रूरी है कि इन कार्यक्रमों मे हिस्सा लेने वालों की निंदा भर्त्सना भी की जाए।

सच का सामना की आलोचना मुख्य रूप से इसलिए की जा रही है कि इसमें प्रतियोगियों से बहुत ही निजी किस्म के सवाल किए जाते हैं, जो कि सामाजिक मर्यादा का उल्लंघन करते हैं और परिवार तथा परिजनों के बीच कटुता पैदा करते हैं। मगर इस कार्यक्रम में जाने वाले क्या जानते नहीं हैं कि वे वहाँ क्या करने जा रहे हैं। अगर ये मान लिया जाए कि वे सच बोलने की हिम्मत रखते हैं और बोलना चाहते हैं तो वे बातें जो सार्वजनिक तौर पर कहने के लिए वे तैयार हैं क्यों नहीं पहले उन लोगों के सामने कहते जिनके नाम जवाबों से जुड़े हुए हैं। आख़िर सरे आम उनको अपमानित करने का लायसेंस उन्हें किसने दिया है? किसने उन्हें इजाज़त दी है कि वे अपनी पत्नी, प्रेमिका या मित्र पर लाखों दर्शकों के सामने कीचड़ उछालें? किसी ने नहीं। मगर ये लालची लोग ऐसा करते हैं और आगे भी करेंगे, क्योंकि ऐसे लोगों की कमी हमारे समाज में नहीं है। अगर चकलाघर चलाने वाले लोग हैं तो उनमें आबाद करने वाले लोग भी।

कृपया इसे भारतीय संस्कृति और परंपराओं से कतई न जोड़ा जाए। ऐसे शो का संबंध लालच से है इसलिए ये अमेरिका में भी कामयाब होते हैं और भारत में भी। ये हर जगह सफल होंगे क्योंकि हर समाज में लालच के लिए एक बड़ी जगह है। बाज़ारवाद ने इस लालच को और बढ़ाया है। अब लालच बढ़ा है तो उसे भुनाने वाले पीछे कैसे रह सकते हैं। सच का सामना या स्वयंवर तो क्या इससे भी घटिया किस्म के रियलिटी शो होंगे तो उसमें भी हिस्सा लेने वालों की भीड़ इकट्ठा हो जाएगी।

ऐसे रियलिटी शो पर एक और नज़रिए से देखने की ज़रूरत है। इसमें सच का सामना करने वाले वे लोग नहीं आते जो बड़े-बड़े झूठ बोलते हैं, मसलन, नेता, मीडिया मालिक एवं पत्रकार, अफसर, व्यापारी, उद्योगपति आदि। इनके झूठ न केवल बड़े होते हैं बल्कि बड़ी आबादी को प्रभावित भी करते हैं। अगर ये बेनकाब हों तो समाज और देश का भला हो। मगर ऐसा नहीं होता। पकड़ में आते हैं कम धूर्त और चालाक लोग, जो अपने लालच की वजह से अपना ही नुकसान कर बैठते हैं।
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